Top 10 Moral Stories in Hindi

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Top 10 Moral Stories in Hindi

1. नैतिक कहानी | Moral Story

लोमड़ी और खरगोश

लोमड़ी और खरगोश

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी जो हमेशा जल्दबाज़ी से काम लेती थी। उसे अपनी तरक़्की के लिए दौड़ते रहना पसंद था। एक दिन, उसे एक खरगोश दिखा जो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।

लोमड़ी उससे कहती है, “तुम क्यों इतनी धीमी रफ्तार से चल रहे हो? तुम्हें जल्दी करनी चाहिए, वरना तुम अपने लक्ष्य को कभी नहीं पाओगे।”

खरगोश ने ध्यान से सुना और फिर बोला, “यदि हम धीरे-धीरे चलते हुए भी अपना लक्ष्य चाहते हैं तो हम उसे जल्दी हासिल करेंगे। जब हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, तो हमें सभी चीजें ध्यान से देखने का मौका मिलता है जिससे हमें दिशा और समझ में मदद मिलती है।”

लोमड़ी ने उसे ठीक समझा और दोनों मिलकर आगे बढ़ने लगे। थोड़ी देर बाद, वे एक स्थान पर पहुंचे जहां एक समुद्र था। लोमड़ी ने सोचा कि अब वह लक्ष्य के पास है, इसलिए वह समुद्र को पार करने के लिए जल्दी में एक नाव ढूंढने लगी।

खरगोश ने उसे रोका और कहा, “लोमड़ी, वहाँ कोई नाव नहीं है। हमें उस पहाड़ पर चढ़ना होगा जो समुद्र के पास है।”

लोमड़ी को दिमाग में खरगोश के बातें आईं औ वह खरगोश की बात सुनकर उस पहाड़ की ओर बढ़ने लगी। थोड़ी देर में, वे पहाड़ के ऊपर पहुंच गए और वहाँ से लोमड़ी अपने लक्ष्य को आसानी से पा ली।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपनी लक्ष्य के प्रति उत्साह रखना चाहिए, लेकिन हमें धीमे रफ्तार से भी अपने लक्ष्य के प्रति सदा उत्सुक होना चाहिए।

शिक्षा: जल्दबाज़ी से कुछ हीं होता।

2. नैतिक कहानी | Moral Story

अंधा घोड़ा

अंधा घोड़ा

एक समय की बात है, एक गांव में एक अंधा घोड़ा रहता था। यह घोड़ा बहुत ही नादान था और जंगल में घूमता रहता था। अधिकांश लोगों को इस घोड़े के बारे में पता नहीं था क्योंकि वह बहुत ही कम दिखाई देता था।

एक दिन, जब घोड़ा जंगल में घूम रहा था, तो वह एक गहरे खाई में गि गया। उसने बहुत कोशिश की अपने पैरों से बाहर निकलने की, लेकिन वह नहीं निकल पाया।

अंधा घोड़ा बहुत चिंतित हो गया था और वह चिल्लाने लगा। अंततः एक व्यक्ति ने उसे सुन लिया और उसे खाई से बाहर निकाल दिया।

घोड़ा बहुत खुश था और उसने उस व्यक्ति को धन्यवाद कहा। उस व्यक्ति ने उससे कहा, “तुमने उस खाई से निकलने के लिए समय लिया। लेकिन अगली बार से तुम्हें अपने आप में आशा और विश्वास रखना होगा।”

यह कहानी हमें बताती है कि हमें अपने आप पर भरोसा करना चाहिए। जिस तरह से अंधा घोड़ा संघर्ष के बाद अपनी समस्या को हल करने में सक्षम था, हमें भी अपनी ताकत पर भरोसा रखना चाहिए। हमें अपनी जिंदगी में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमें इन समस्याओं से नहीं घबराना चाहिए। हमें अपने आप में आशा और विश्वास रखना चाहिए और संघर्ष करते रहना चाहिए। यह हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करेगा।

शिक्षा: हमें अपने आप में आशा और विश्वास रखना चाहिए और संघर्ष करते रहना चाहिए।

3. नैतिक कहानी | Moral Story

बिल्ली और बन्दर

बिल्ली और बन्दर

नदी किनारे सूंदरपुर नाम का एक छोटा सा गांव था। उस गांव में दो बिल्लियाँ रहती थी, उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। वे साथ में खाना ढूँढने जाया करती थी और जो कुछ भी मिलता उसे आपस में बड़े ही प्यार से बाँट कर खाती थी।

एक दिन की बात हैं, दोनों बिल्लियाँ गांव में खाना ढूंढ रही थी, उन्हें एक किसान के घर से रोटी मिली, रोटी को देखकर दोनों बिल्लियाँ बहुत खुश हुयी। उन्होंने रोटी को दो टुकड़ो में बाँट लिया और रोटी खाने के लिए एक पेड़ के निचे आयी, लेकिन उनमे से एक बिल्ली को उसकी रोटी का टुकड़ा छोटा लग रहा था। वो दूसरी बिल्ली से बोली की मेरी रोटी का टुकड़ा छोटा हैं, तुम अपने टुकड़े में से थोड़ा मुझे दो। लेकिन दूसरी बिल्ली को भी उसका टुकड़ा छोटा लग रहा था। अब दोनों बिल्लियाँ आपस में झगड़ने लगी।

वहाँ एक पेड़ पर ए बंदर बैठा इनकी बातें सुन रहा था,

बंदर बोला- सुनो बिल्लियां , तुम्हें लगता हैं कि रोटी का टुकड़ा छोटा हैं तो में तराजू से उसे दोनों में बराबर भाग में बांट सकता हूँ।

बिल्लियाँ बंदर के नजदीक गयी और बोली- ठीक हैं, अब तुम्हीं इसे बराबर भाग में बांट दो।

बन्दर एक तराजू लाया और उसने दोनों टुकड़ों को तराजू के दोनों तरफ रखा और जैसे ही उसनें तराजू उठाया तराजू एक तरफ झुक गया। बंदर ने उसे बराबर करने के लिए थोड़ा तोड़ा और खुद खा लिया। और वापस तराजू उठाया। लेकिन इस बार तराजू दूसरी तरफ झुक गया, बंदर ने उसे बराबर करने के लिए फिर थोड़ा तोड़ खा लिया। कुछ देर तक बंदर ऐसा करता गया और अब तराजू में छोटा सा टुकड़ा शेष रह गया था।

अब उन बिल्लियों से रहा नहीं गया,

बिल्लियोंने पूछा- तुम ये कैसा बंटवारा कर रहे हो, अब तो थोड़ी ही रोटी बची हैं।

इस पर बंदर ने कहा- ठीक हैं। लेकिन मैंने जो इतना मेहनत किया उसकी मजदूरी तो होगी।

इसलिए यह बची रोटी का टुकड़ा मेरा हुआ र बंदर तराजू में जो रोटी बची थी वो लेकर पेड़ पर चढ़ गया। दोनों बिल्लियाँ बस देखती रह गयी, उन्हें कुछ भी खाने को नहीं मिला।

अब दोनों बिल्लियाँ यह समझ गई कि आपस में झगड़ा करने से अपना ही नुकशान होता हैं। इसका लाभ कोई अन्य उठाता हैं। बाद में उन्होंने कभी भी आपस में झगड़ा नहीं किया, और जो भी मिलता उसे बहुत ही प्यार से खाने लगी।

शिक्षा: हमें कभी भी आपस में झगड़ा हीं करना चाहिए और हमेशा झगडे से दूर रहने की सोचनी चाहिए।

4. नैतिक कहानी | Moral Story

पानी और प्यासा कौवा

पानी और प्यासा कौवा

गर्मियों के दिन थे। दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी। एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था। लेकिन उसे कही भी पानी नहीं मिला। अंत में वह थका हु एक बाग में पहुँचा। वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था की अचानक उसकी नजर वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई। वह उड़कर घड़े के पास चला गया।

वहां उसने देखा कि घड़े में थोड़ा पानी है। वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी। ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था।

परन्तु वह कौआ हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा। तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने आस – पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू क दिए। लगातार पानी में कंकड़ डालने से पानी ऊपर आ गया। फिर उसने आराम से पानी पिया और उड़ गया।

शिक्षा: अगर हम सफल होने के लिए अपने कदम बढ़ाएंगे तो हमें सफलता प्राप्त करने के रास्ते आसानी से मिलने लगेंगे।

5. नैतिक कहानी | Moral Story

चूहा और भगवान

चूहा और भगवान

एक बार की बात है। एक चूहा था। एक दिन उसने सोचा की चूहा होना बहुत गलत बात है, क्योंकि हमेशा बिल्लियों से खतरा रहता है और बोलने लगा की काश मैं बिल्ली होता। यह सुनकर भगवान को चूहे पर दया आ गयी और भगवान ने उसे बिल्ली बना दिया। बिल्ली बनने के बाद उसे कुत्तो से डर लगने लगा।

चूहा फिर सोचने लगा- काश मैं कुत्ता होता तो मैं कही भी निर्भीक होकर घूम सकता। भगवान ने उसे कुत्ता बना दिया। कुत्ता बनने के बाद वह दूर-दूर तक खूब घूमा।

एक दिन वह कुत्ता जंगल में चला गया, तो शेर उसके पीछे पड़ गया। वह किसी तरह अपनी जान-बचाकर वहा से निकला और…..

तब वह कुत्ता फिर बोला- काश मैं शेर होता तो मैं बिना किसी डर के जंगल में घूमता रहता।

भगवान ने उसकी कही हुई बात सुनी- उसे शेर भी बना दिया। वह अब जंगल में जाकर रहने लगा। वह पूरा जंगल घूमता रहता और वह बहुत ही खुश होता, जब वह यह देखता की जंगल के सारे जानवर उससे डरते है।

एक दिन उस जंगल में एक शिकारी गया। वह शिकारी उस शेर को मारने के लिए तीर चलाने लगा। उसे उन तीरों से बचने के लिए गुफा की ओर भागना पड़ा और वहा छुपना पड़ा।

फिर उस शेर ने सोचा- यह भी कोई जिंदगी हुई, काश में मनुष्य होता।

इस बार भगवान को उस पर दया नहीं आई और उन्होंने उसे फिर से चूहा बना दिया और

भगवान उस चूहे से बोले- मैं तुम्हे कुछ भी बना दूँ, पर तुम रहोगे तो चूहे ही।

शिक्षा: जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियो से घबरा कर भागता है, उसे चाहे कितनी भी सुख-सुविधाएँ दे दी जाय पर वह हमेशा असंतुष्ट ही रहेगा। इसलिए हमें कभी भी अपनी परिस्थितियो से घबरा कर भागना नहीं चाहिए।

6. नैतिक कहानी | Moral Story

शेर और चूहा

शेर और चूहा

सुंदरवन की बात हैं। जंगल का राजा शेर बहुत थका हुआ था, उसने सोचा चलो कुछ देर आराम कर लेता हूँ। उसने एक बहुत ही छायादार पेड़ देखा और वहाँ जाकर लेट गया। शेर बहुत थका हुआ था, इसलिए कुछ ही देर में उसे गहरी नींद लग गयी, और वह जोर – जोर से खर्राटे भरने लगा।

जिस पेड़ के निचे शेर सोया हुआ था, वहाँ पास में एक नटखट चूहा का बिल था। शेर की तेज खराटे से परेशान होकर चूहा अपने बिल से बाहर निकला उसने देखा की जंगल का राजा गहरी नींद में खर्राटे भर रहा हैं।

बस फिर क्या था…नटखट चूहे को शरारत सूझी, वह शेर की पीठ पर चढ़ गया और जोर-जोर से उछलने लगा। शरारती चूहा कभी शेर के कान खींचता तो कभी पुँछ पकड़ के झूलने लगता था। उसकी उछलने से शेर की नींद खुल गयी।

शेर ने झटके से चूहे को पकड़ लिया और बोला- मूर्ख चूहा.तुमने मेरी नींद खराब की हैं, अब में तुम्हें मार डालूँगा।

जंगल का राजा शेर बहुत गुस्से में था, शेर को गरजता देख चूहा काँपने लगा।

चूहा बोला- महाराज, मुझे माफ कर दीजिए, आप तो जंगल के राजा हैं, मुझ जैसे छोटे चूहे को मार कर आपको क्या मिलेगा। लेकिन अगर आप मुझे छोड़ देंगे तो मैं भी कभी आपके काम जरूर आऊँगा।

चूहे की बात सुनकर शेर को बहुत हंसी आयी, शेर जोर – जोर से हँसने लगा…

शेर हँसते हुए बोला- तुम एक चूहा और में जंगल का राजा शेर हूँ, भला तुम मेरे किस काम आओगे लेकिन तुमने मुझे हँसाया है, इसलिए में तुम्हें छोड़ रहा हूँ।

शेर ने चूहे को छोड़ दिया, चूहा तुरंत अपने बिल में चला गया।

ऐसे ही कुछ दिन बीत गया। एक दिन चूहा बिल के बाहर घूम रहा था, तभी उसकी नजर उस शेर पर गयी, आज वह शिकारी द्वारा बिछाये गए जाल में फँसा हुआ था।

चूहा शेर के पास गया और बोला- महाराज में वही चूहा हूँ, जिसे आपने छोड़ दिया था। मैंने कहा था कि मैं जरूर आपके काम आऊँगा। मैं अभी इस जाल को काट देता हूँ। चूहे ने अपनी नुकीली दाँतों से जल्दी ही उस जाल को काट दिया, और शेर तुरंत बाहर आ गया।

शेर बोला- मुझे माफ़ करना चूहा, उस दिन मैं तुमपर हंसा था, लेकिन आज मुझे यह ऐहसास हो गया कि छोटा – बड़ा कुछ नहीं होता सबकी अपनी एक अलग विशेषता होती हैं। लेकिन तुमने मेरी जान बचायी हैं, इसलिए आज से हम दोनों दोस्त हुये, उसके बाद चूहा और शेर में दोस्ती हो गयी, चूहा शेर की पीठ पर बैठता और घूमता था, दोनों में गहरी मित्रता हो गयी।

शिक्षा: कभी भी हमें दूसरों को कम नहीं समझना चाहिए, हर छोटी – बड़ी चीज का अपना अलग महत्व होता हैं।

7. नैतिक कहानी | Moral Story

नन्हीं चिड़िया

नन्हीं चिड़िया

बहुत समय पुरानी बात है, एक बहुत घना जंगल हुआ करता था। एक बार किन्हीं कारणों से पूरे जंगल में भीषण आग लग गयी। सभी जानवर देख के डर रहे थे कि अब क्या होगा??

थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गयी सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे पूरा जंगल अपनी अपनी जान बचाने में लगा हुआ था। उस जंगल में एक नन्हीं चिड़िया रहा करती थी उसने देखा क़ि सभी जानवर भयभीत हैं जंगल में आग लगी है मुझे जानवरों की मदद करनी चाहिए।

यही सोचकर वह जल्दी ही पास की नदी में गयी और चोच में पानी भरकर लाई और आग में डालने लगी। वह बार बार नदी में जाती और चोच में पानी डालती। पास से ही एक उल्लू गुजर रहा था उसने चिड़िया की इस हरकत को देखा और मन ही मन सोचने लगा क़ि ये चिड़िया कितनी मूर्ख है इतनी भीषण आग को ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है।

यही सोचकर वह चिड़िया के पास गया और बोला कि तुम मूर्ख हो इस तरह से आग नहीं बुझाई जा सकती है।

चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिया- “मुझे पता है कि मेरे इस प्रयास से कुछ नहीं होगा लेकिन मुझे अपनी तरफ से best करना है, आग कितनी भी भयंकर हो लेकिन मैं अपना प्रयास नहीं छोड़ूगी।”

उल्लू यह सुनकर बहुत प्रभावित हुआ।
शिक्षा/Moral:- तो मित्रों यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है कि जब कोई भी परेशानी आती है तो इंसान घबराकर हार मान लेता है लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए यही इस कहानी की शिक्षा है|

शिक्षा: जब भी कोई परेशानी आये हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए कि घबराकर हार मान लेना चाहिए।

8. नैतिक कहानी | Moral Story

मैना पक्षी और स्कूली बच्चे

मैना पक्षी और स्कूली बच्चे

एक गाँव के पास एक विद्यालय थी। उस विद्यालय में गाँव के छोटे बच्चे पढ़ते थे। जब उनकी छुट्टी होती तो रास्ते मे एक जामुन के पेड़ के पास वे रुकते थे। उस पेड़ पर एक मैना ने अपना घोंसला बनाया था।

बच्चें मैना से कहते- सुनो मैना पक्षी हमारे लिए कुछ जामुन गिराओ। मैना बच्चों की आवाज सुनकर पके जामुन गिराती थी। बच्चे जामुन खाकर बहुत खुश होते थे।

एक दिन की बात हैं। मैना पक्षी कही दूर दाना चुने चली गयी थी। वह वापस लौटते समय अपना रास्ता भूल गयी। मैना के घोंसला में उसके बच्चें बहुत चिंतित थे।

मैना के बच्चों ने- घोंसला के बाहर देखना चाहा, लेकिन वे जमीन पर गिर गए। “मैना के बच्चों को डर लग रहा था, कहीं कौआ उन्हें देख ना ले नहीं तो कौआ उन्हें मार डालेगा”।

उसी समय विद्यालय की छुट्टी हुयी और विद्यालय के बच्चें उस पेड़ के पास आये। उन्होंने मैना के बच्चो को देखा, वे समझ गए कि मैना आज पेड़ पर नहीं हैं। विद्यालय के बच्चों ने मैना के बच्चों को वापस उनके घोसलों में पहुंचा दिया। कुछ समय बाद मैना पक्षी वापस उस पेड़ में आ गयी।

मैना ने अपने बच्चों से उनका हाल पूछा- उन्होंने बताया कि आज विद्यालय के बच्चों ने उसे घोसलें में सुरक्षित पहुँचाया। मैना ने उन्हें बहुत धन्यवाद दिया और अपने बच्चों को गले से लगा लिया।
शिशिक्षा/Moral:- दोस्तों इस कहानी से हमें सिख मिलती हैं कि कर भला तो हो भला।

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह सिख मिलती हैं कि अगर हम दुसरो का भला करते हैं तो हमारे साथ भी भला होता है।

9. नैतिक कहानी | Moral Story

घास, बकरी और भेड़िया

घास, बकरी और भेड़िया

एक समय की बात है एक मल्लाह के पास घास का ढेर, एक बरी और एक भेड़िया था। उसे इन तीनो को नदी के उस पार लेकर जाना था।

पर नाव छोटी होने के कारण वह एक बार में किसी एक चीज को ही अपने साथ ले जा सकता था।

अब अगर वह अपने साथ भेड़िया को ले जाता तो बकरी घास खा जाती।

अगर वह घास को ले जाता तो भेड़िया बकरी खा जाता।

इस तरह वह परेशान हो उठा कि करें तो क्या करें?

उसने कुछ देर सोचा और फिर उसके दिमाग में एक योजना आई।

सबसे पहले वह बकरी को ले कर उस पार गया और वहाँ बकरी को छोड़ कर, वापस इस पार अकेला लौट आया।

उसके बाद वह दूसरे सफर में भेड़िया को उस पार ले गया। और वहाँ खड़ी बकरी को अपने साथ वापस इस पार ले आया।

इस बार उसने बकरी को वहीं बाँध दिया और घास का ढेर लेकर उस पार चला गया और भेड़िया के पास उस ढेर को छोड़ कर अकेला इस पार लौट आया।

फिर अंतिम सफर में बकरी को अपने साथ ले कर उस पार चला गया।

शिक्षा: मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी क्यों हो, खोजने पर समाधान मिल ही जाता है।

10. नैतिक कहानी | Moral Story

लोमड़ी और बकरी

लोमड़ी और बकरी

एक समय की बात है, एक लोमड़ी घूमते-घूमते एक कुएं के पास पहुंच गईकुएं की दीवार नहीं थी। उधर, लोमड़ी ने भी इस और ध्यान नहीं दिया। परिणाम यह हुआ कि बेचारी लोमड़ी कुएं में गिर गई।

कुआं अधिक गहरा तो नहीं था, परंतु फिर भी लोमड़ी के लिए उससे बार निकलना सम्भव नहीं था। लोमड़ी अपनी पूरी शक्ति लगाकर कुएं से बाहर आने के लिए उछल रही थी, परंतु उसे सफलता नहीं मिल रही थी। अंत में लोमड़ी थक गई और निराश होकर एकटक ऊपर देखने लगी कि शायद उसे कोई सहायता मिल जाए।

लोमड़ी का भाग्य देखिए, तभी कुएं के पास से एक बकरी गुरी। उसने कुएं के भीतर झांका तो लोमड़ी को वहां देखकर हैरान रह गई।

बकरी बोली- “नमस्ते, लोमड़ी जी! आप इस कुएं में क्या र रही हो?”

लोमड़ी ने उत्तर दिया- “नमस्ते, बकरी जी! मुझे यहां कुएं में बहुत मजा आ रहा है।”

बकरी बोली- अच्छा! बहुत प्रसन्नता हुई ह जानकर। “आखिर बात क्या है?”

लोमड़ी बड़ी चतुरता से बोली- “यहां की घास अत्यन्त स्वादिष्ट है।”

बकरी आश्चर्य से बोली- “मगर तुम कब से घास खाने लगी हो?

लोमड़ी ने उत्तर दिया- “तुम्हारा कहना ठीक है। मैं घास नहीं खाती, मगर यहां की घास इतनी स्वादिष्ट है कि एक बार खा लेने के बाद बार बार घास ही खाने को जी करता है। तुम भी क्यों नहीं आ जाती हो?”

बकरी के मुंह में पानी भर आया- धन्यवाद! “बकरी कहने लगी मैं भी थोड़ी घास खाऊंगी।”

अगले ही क्षण बकरी कुएं में कूद गई। मगर जैसे ही बकरी कुएं के भीतर पहुंची लोमड़ी बकरी की पीठ पर चढ़कर ऊपर उछली और कुएं से बाहर निकल गई।

“वाह! बकरी जी। अब आप जी भर कर घास खाइए, मैं तो चली।”

इस प्रकार वह चतुर लोमड़ी बकरी का सहारा लेक खुद तो कुएं से बाहर आ गई लेकिन बकरी को कुएं में छोड़ दिया।
शिक्षा/Moral:-हर किसी पर आंख मूंदकर विश्वास न करो।

शिक्षा: हर किसी पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए।

FAQs on Moral Stories

Moral Stories क्यों पढ़ना चाहिए ?

Moral stories का मूल उद्देश्य हमें एक शिक्षा देना होता है जिससे हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें। इन कहानियों के माध्यम से हम अलग-अलग चुनौतियों से निपटने के लिए ज्ञान प्राप्त करते हैं। इन कहानियों में हमें सीखने के लिए कई अच्छी बातें होती हैं जैसे नेतृत्व, ईमानदारी, सहनशीलता, संयम, जीवन में महत्वपूर्ण फैसलों के लिए अपने मन की सुनना आदि। इसलिए, moral stories को पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण होता है जो हमें अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मदद करती हैं।

नैतिक कहानियां कितने प्रकार की होती हैं?

नैतिक कहानियां कई प्रकार की होती हैं। कुछ नैतिक कहानियां बाल मजदूरी, भ्रष्टाचार, आदर्श व्यवहार, समाज सेवा, आदि से सम्बंधित होती हैं। दूसरी तरफ कुछ कहानियां धार्मिक या आध्यात्मिक विषयों से जुड़ी होती हैं। तीसरे प्रकार की कहानियां जीवन के मूल्यों और संबंधों के बारे में होती हैं, जैसे कि दोस्ती, परिवार, स्वास्थ्य आदि। कुछ कहानियां भावनात्मक होती हैं, जबकि दूसरी कहानियां मनोरंजक और हास्यपूर्ण होती हैं।
इस तरह की कहानियां जीवन में अनुशासन, संयम, ईमानदारी, नेतृत्व, समाज सेवा, आदि जैसी महत्वपूर्ण गुणों को सीखने में मदद करती हैं। इसलिए, नैतिक कहानियों को पढ़ना एक शिक्षाप्रद और मनोरंजक तरीका होता है अपने जीवन को सुधारने के लिए।

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