150+ गुलजार साहब की बेहतरीन शायरियां | 150+ Best Shayari of Gulzar Sahab in (Hindi and English)

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150+ Shayari of Gulzar Sahab in (Hindi and English)
Shayari of Gulzar Sahab

गुलजार साहब से भला कौन परिचित नहीं है? गुलज़ार साहब ने अपने काम से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। गुलज़ार की जिस भी संगीत उनके दिल को प्रेरित किया, उन्होंने उस संगीत को हमेशा के लिए अमर कर दिया। गुलजार साहब हिंदी शायरी की दुनिया का एक अनमोल रत्न हैं। इस पोस्ट में गुलज़ार साहब द्वारा लिखित हिंदी शायरी में आप उनकी सदाबहार शायरियों के बारे में जानेंगे। गुलज़ार साहब की यह प्रसिद्ध हिंदी शायरी निश्चित रूप से आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। इस पोस्ट में हम आपको उनके शायरी के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेंगे।

गुलजार साहब का जीवन परिचय | Biography of Gulzar Sahab in Hindi

गुलज़ार साहब का वास्तविक नाम संपूरन सिंह कालरा है। इनका जन्म 18 अगस्त 1934 को भारत के झेलम जिला पंजाब के दीना गाँव में (जो अब पाकिस्तान में है) हुआ था। गुलज़ार साहब अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं। उनके पिता का नाम माखन सिंह कालरा और माता का नाम सुजान कौर है। जब वे छोटे थे तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी। उन्हें माता और पिता दोनों का प्यार नहीं मिला। स्कूल में, उन्होंने टैगोर की रचनाओं का अनुवाद पढ़ा था जिसे उन्होंने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण मोड़ों में से एक के रूप में वर्णित किया।

विभाजन के कारण, उनका परिवार अलग हो गया और उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मुंबई चले गए। वर्ली के एक गेरेज में वे बतौर मेकेनिक काम करने लगे और खाली समय में कवितायें लिखने लगे। उन्होंने गुलज़ार दीनवी और बाद में बस गुलज़ार नाम अपनाया। फ़िल्म इंडस्ट्री में उन्होंने बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के तौर पर काम शुरू किया। बिमल राय की फ़िल्म बन्दिनी के लिए गुलज़ार ने अपना पहला गीत लिखा। गुलज़ार त्रिवेणी छ्न्द के रचयिता हैं।

ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध संपूरन सिंह कालरा हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके अतिरिक्त वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। राज्यसभा टीवी के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने एक चित्रकार के रूप में अपने काम का आनंद लेने के बारे में बताया क्योंकि इससे उन्हें एक साथ पढ़ने, लिखने, कॉलेज जाने और प्रगतिशील लेखक संघ [Progressive Writers Association (PWA)] में शामिल होने के लिए काफी समय मिल गया।

उनकी रचनाएँ मुख्यतः हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं, परन्तु ब्रज भाषा, खड़ी बोली, मारवाड़ी और हरियाणवी में भी इन्होंने रचनाएँ की हैं। गुलज़ार साहब को 2002 में सहित्य अकैडेमी पुरस्कार। इन्हें 2004 में भारत सरकार द्वारा तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फ़िल्म स्लम्डाग मिलियनेयर में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिला है। इसी गीत के लिये उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

गुलज़ार साहब की शायरी हिंदी में | Gulzar Sahab ki Shayari in Hindi

वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी

Vo Mohabbat Bhi Tumhari Thi Nafrat bhi Tumhari Thi
Ham Apni Wafa ka Insaaf kisse mangte
Vo Shahar Bhi Tumhara Tha Vo Adalat Bhi Tumhari Thi

अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं

Achi Kitabe Aur Acche Log
Turant Samajh Mein Nahin Aate Hain
Unhen Padhna Padta Hai

सामने आए मेरे, देखा मुझे, बात भी की,
मुस्कुराए भी, पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर,
कल का अख़बार था, बस देख लिया, रख भी दिया।।

Samne Aaye Mere Dekha Mujhe Baat Bhi Ki
Muskurae Bhi Purani Kisi Pahchan Ke Khaatir
Kal Ka Akhbar Tha Bss Dekh Liya Rakh Bhi Diya

इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां

Itna Kyon Sikhaye ja rahi ho Jindagi
Hamen kaun se Sadiya Gujarni Hai Yahan

तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!

Tumko Gam Ke jazbaaton se ubharega Kaun
Ham bhi Mukar Gaye to Tumhen sambhalega Kaun

हम समझदार भी इतने हैं के
उनका झूठ पकड़ लेते हैं
और उनके दीवाने भी इतने के फिर भी
यकीन कर लेते है

Ham samajhdar bhi itne Hain Ki
Unka Jhooth pakad lete hain
Aur unke Deewane bhi itne Hain Ki fir bhi
Yakin kar lete hain

जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ से लगाई है
मीठा सा गम मीठी सी तन्हाई है।

Jab Se Tumhare Naam Ki Misri Honth se lagai hai
Meetha Sa Gam Meethi Si Tanhai hai

टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।
मानता हूँ मुश्किल हैं,
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।

Tut Jana chahta hun bikhar Jana chahta hun
main fir se nikhar chahta hun
Manta hun Mushkil Hai
Lekin Main guljar Hona chahta hun

देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हमको पुकारता है कोई.
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,
आज की दास्ताँ है हमारी

Der se gunjte hain sannate
jaise Humko Pukarta Hai Koi
kal ka Har Waqia tha Tumhara
Aaj Ki Dastan Hai Hamari

बहुत मुश्किल से करता हूं
तेरी यादों का कारोबार मुनाफा कम है
पर गुज़ारा हो ही जाता है

Bahut Mushkil se karta hun
Teri Yadon ka Karobar munafa kam hai
per Gujara ho hi jata hai

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।

Tumhen Jo Yad Karta Hun Main Duniya Bhul Jata Hun
Teri Chahat Mein Aksar sambhalna Bhul jata hun

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता

Yun bhi Ek Bar Hota ki Samundar Behta
Koi Ehsas to Dariya bhi aane ka hota

उधड़ी सी किसी फिल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो गमगीन थी बारिश।
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश।

Udhdi si Kisi film ka ek scene Ki Barish
Is bar Mili Mujhse to gumgeen thi barish
Kuchh Logon Ne Rang loot liye Shahar Mein is ke
Jungle se jo Nikali Thi vah Rangeen Ki Barish

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है
कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता

Kabhi jindagi ek pal me gujar jaati hai
Kabhi jindagi ka ek pal nhi gujarta

दौलत नहीं शोहरत नहीं,न वाह चाहिए
“कैसे हो?” बस दो लफ़्जों की परवाह चाहिए

Daulat nahi Shohrat nahin na vaah chahie
“kaise ho?” bss Do Lafzon Ki Parwah chahiye

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती

Bahut andar Tak Jala Deti Hai
vo Shikayate Jo byaa Nahin Hoti

बहुत छाले हैं उसके पैरों में
कमबख्त उसूलों पर चला होगा

Bahut chhale Hain Uske Pairon Mein
Kambakht usool on per Chalna hoga

मेरी कोई खता तो साबित कर
जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने
चल मैं बेवफा ही सही
तू अपनी वफ़ा साबित कर।

Meri koi Khata to sabit kar
Jo Bura Hun To Bura sabit kar
Tumhen Chaha Hai Kitna tu kya Jaane
Chal Main Bewafa Hi Sahi
Tu Apni Wafa sabit Kar

मैं दिया हूँ
मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं

Mai Diya hun
Meri Dushmani to sirf andhere Se Hai
Hawa To bewajah Hi Mere khilaf Hai

पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।

Palak se Pani Gira Hai To usko Girne do
koi purani Tamanna pighal Rahi Hogi

घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके

Ghar mein apnon se utna hi Rutho
ki aapki baat aur dusron ki ijjat
dono Barkrar Rah sake

वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए 

Vah Jo Surat per Sabki Hanste Hain 
unko tohfe me ek  aaina dijiye

खुद की कीमत गिर जाती है
किसी को कीमती बनाने की चाह में!

Khud ki kimat gir jati hai
Kisi ko kimti bnane ki Chah me!

कौन कहता है
हम झूठ नहीं बोलते
एक बार खैरियत
पूछ कर तो देखो

Kon kehta hai
Hum jhut nhi bolte
Ek bar kheriyat
Puch kar to dekho

तस्वीरें लेना भी जरूरी है जिंदगी में साहब
आईने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते

Tasviren lena bhi jaruri hai jindgi me sahab
Aaine gujra hua vakt nhi btaya karte

गुलज़ार साहब की बेहतरीन शायरी | Best Shayari of Gulzar Sahab

दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।

Dard Halka Hai Saans Bhari Hai
Jiye Jaane Ki Rachna Jari hai

कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं

Kuchh alag karna ho to
Bheed se hatt kar Chaliye
Bheed Sahas to Deti Hai
Magar pahchan se Leti Hai

गुलाम थे तो
हम सब हिंदुस्तानी थे
आज़ादी ने हमें
हिन्दू मुसलमान बना दिया

Gulam the to
Hum Sab Hindustani the
Azadi Ne Hamen
Hindu Musalman bana diya

आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हमने एक बार किया।

Aadatan tum ne kar Diye waade
Humne Aitbaar Kiya
Teri Rahon Mein barha ruk kar
Humne apna hi Intezar Kiya
Ab Na mangenge Jindagi ya rab
Yeh Gunah Humne Ek Bar Kiya

किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।

Kisne Raste Mein Chand Rakha tha
Mujhko Thokar Lagi Kaise
Waqt pe Paon kab Rakha Humne
Jindagi Munh ke bal Giri Kaise
Aankh To Bhari Thi Pani Se
Teri tasvir Jal Gai Kaise

गए थे सोचकर की बात
बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी
तरक्की सुनाने लगे

Gaye the Soch kar Ki Baat
bachpan ki Hogi
Magar dost Mujhe Apni
Tarakki sunane Lage

मैंने मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं,
जीना ही छोड़ देता हैं।

Maine Maut Ko Dekha To Nahin
Par Shayad vo bahut Khubsurat Hogi
Kambakht jo bhi usse Milta Hai
Jina Hi Chhod deta hain

देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।

Der Se Guzarte hain Sannatte
Jaise Humko Pukarta Hai Koi
Hawa Gujar Gai Patte the Kuchh hile bhi nhi
Vo Mere Shahar Mein Aaye bhi aur Mile Bhi Nhi

थोड़ा सा रफू करके देखिए ना
फिर से नई सी लगेगी
जिंदगी ही तो है

Thoda sa rafu Karke dekhiye na
phir se nahin si Lagegi
Jindagi Hi To Hai

सहम सी गयी है ख्वाइशें
ज़रूरतों ने शायद उन से
ऊँची आवाज़ में बात की होगी

Saham Si gayi hai Khwahishein
jarurato ne Shayad Unse
Unchi awaz mein baat ki Hogi

बीच आसमां में था बात करते- करते ही,
चांद इस तरह बुझा जैसे फूंक से दिया,
देखो तुम इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।

Beech Aasman Mein Tha baat karte karte hi
Chand Is Tarah Bujha Jaise Fhuunk Diya
Dekho Tum Itni lambi Sans mat liya karo

बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!

Beshumar Mohabbat Hogi uss barish Ki Boond ko is Jameen se
Kyunki yuh hi Nahin Koi Mohabbat Mein Itna Gir Jata

मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए
तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं
जो मैं हूं

Main vo kyon Banu Jo Tumhen chahie
Tumhen vo Qubool Kyon Nhi
Jo Main Hun

मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका

Milta to Bahut Kuch Hai
Zindagi Mein
bss Ham ginti unhi ki
Karte Hain Jo Hasil Na Ho saka

एक ना एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंजिल..
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा कर मर जाऊंगा।

Ek na ek din hasil kar hi lunga manjil
Thokare zahar to nahi jo kha kar mar jaunga

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं

Taklif Khud ki kam ho gai
Jab Apno Se ummid Kam ho gai

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

Aap ke bad Har Ghadi Humne
Aapke sath hi Gujari hai

अपने साये से चौंक जाते हैं,
उम्र गुजरी है इस क़दर तनहा

Apne saaye se Chaunk Jaate Hain
Umra Gujari Hai Is Kadar Tanha

जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है

Jab Kabhi Dekh Lun Tumko
to mujhe mahsus Hota Hai Ki
Duniya Khubsurat hai

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं

Ek Sapne ke Tutkar Chaknachoor ho jane ke bad
dusra Sapna dekhne ke hosle ka naam Jindagi hai

लोग कहते है कि
खुश रहो
मगर मजाल है
कि रहने दे

Log Kehte Hain Ki
khush raho
Magar majal hai
ki Rahane De

दिल के रिश्ते ‍‍‍ हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों 1000 से होती है

Dil Ke Rishte Hamesha Kismat Se hi Nahin bante Hain
Varna Mulakat to Roj Hajaro 1000 Se Hoti Hai

यूं तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से
शिकायते बहुत थी
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुंचे
तो कतारें बहुत थी

Yun to ye Zindagi Tere Safar Se
Shikayat bahut thi
Magar Dard Jab darj karne pahunche
to Katare bahut thi

बदल दिए है अब
हमने नाराज होने के तरीके,
रूठने के बजाय बस हल्के से
मुस्कुरा देते है।

Badal diye hai ab
Humne naraj hone ke tarike,
Ruthne ke bjay bas halke se
Muskura dete hai.

जिंदगी ये तेरी खरोंचे है मुझ पर
या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है…

Jindgi ye teri khroenche hai mujh par
Ya fir tu mujhe tarashne ki kosis me hai…

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FAQs

गुलज़ार साहब का असली नाम क्या है?

गुलज़ार साहब का असली नाम सम्पूरन सिंह कालरा है।

गुलज़ार साहब के माता का नाम क्या है?

गुलज़ार साहब के माता का नाम सुजान कौर है।

गुलज़ार साहब के पिता का नाम क्या है?

गुलज़ार साहब के पिता का नाम माखन सिंह कालरा है।

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